नई पुस्तकें >> आद्याशक्ति सहस्त्रोष्टोतर स्त्रोत आद्याशक्ति सहस्त्रोष्टोतर स्त्रोतमहेश चन्द्र सिंह अधिकारी
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अष्टोत्तर श्लोकों की एक विशेषता यह है कि एक नाम दुबारा नहीं आया है और नामवाली क्रमबद्ध करने पर समय लगा। उक्त कार्य में भगवान की कृपा और पुराणों के अध्ययन के अलावा किसी का सहारा नहीं लिया गया है।
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
अनेक पुराणों के अध्ययन मात्र से अचानक मां सरस्वती की कृपा से ‘आद्याशक्ति’ का सहस्त्रनाम बनाने की इच्छा हुई, सहस्त्र नाम बना पर श्लोक संस्था तीन सौ के पास पहुंच गया, फिर समय की गति का अनुमान हुआ तो श्लोक संख्या कम करने की प्रेरणा मिली और श्लोक संख्या को कम करते हुए अष्टोत्तर (108) श्लोकों में परिवर्तित किया। अष्टोत्तर श्लोकों में सिमटने पर समय लगा। इन नामों और श्लोकों की एक विशेषता यह है कि एक नाम दुबारा नहीं आया है और नामवाली क्रमबद्ध करने पर समय लगा। उक्त कार्य में भगवान की कृपा और पुराणों के अध्ययन के अलावा किसी का सहारा नहीं लिया गया है क्योंकि आज का समाज कलियुगी समाज बन चुका है, जो हर क्षेत्र में दिशाहीन हो चुका है।